कैसे करें सागवान की पूर्ति
- "सागवान का उत्पादन व्यापक और व्यवसायिक होना चाहिए।
- भारत सरकार भी सागवान को बढ़ावा देने की रणनीति बना रही है। पूरी जाँच पडताल के उपरांत ही किसानों तक सागवान के पौधे पहुँचते है।
- विभिन्न राज्यों से प्लस वृक्षों का चयन कर बीजका चुनाव किया जाता है। इसके बाद वैज्ञानिको की देखरेख में पौधा बड़ा होता हैं।
- माता रानी बायोटेक्नोलॉजी ने उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और बर्मा देश से बीजएकत्रित किये है।
सागवान ही क्यों?
- बार-बार के निवेश से मुक्त नुकसान की संभावना नगण्य बढ़ती मांग के कारण विपणन आसान।
- कीमतों में निरंतर वृद्धि।
- बिना टैक्स की आमदनी।
- श्रमिकों की बेहद कम जरूरत।
- प्रति एकड़ लगभग 59,99,000/- रुपयें की आमदनी
माता रानी बायोटेक्नोलॉजी के सागवान ग्राहकों के लिए आकर्षक प्रस्ताव
- सागवान के पौधों को आप के घर तक मुफ्त में पहुचाने की सुविधा ।
- इस विशेष प्रस्ताव द्वारा पौधे लगाने के 90 दिन के अन्दर मरे हुए पौधों को मुफ्त में दिये जाऐंगे।
- माता रानी बायोटेक्नोलॉजी के पौधे खरिदने वाले किसानों को प्रथम 2 वर्ष तक मुफ्त में आवष्यक तकनीकी सलाह अपने कृषी अधिकारियों के द्वारा दिये जाएंगे।
- यह सुनेहरा अवसर को ना खोइये सोचिए और तुरंत माता रानी बायोटेक्नोलॉजी के पौधे लगाये ।
विशेषताओं से परिपूर्ण हैं माता रानी बायोटेक्नोलॉजी सागवान
- "देश के विभिन्न भागों में उप तकनीक युक्त प्लांटो में उत्पादन।
- विभिन्न अवस्थाओं में पौधे की श्रेणीवार छटाई।
- पौधे की उत्तम बढ़वार, मध्यम बढ़वार, एवं निम्र बढवार वाले पौधो का पृथक्करण किया जाता है।
- बेहतर से बेहतर गुणवत्ता युक्त सागवान केवल माता रानी बायोटेक्नोलॉजी ही उपलब्ध करा रहा है।
- वृक्ष न केवल सीधा एवं जल्द बढ़ता है बल्कि ज्यादा एवं गुणवत्ता युक्त लकड़ी देता है।
- आधुनिक बागवानी के अनुकूल एवं ज्यादा दाम देने की क्षमता।
टीक उत्पादन | साधारण कृषि |
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- कम देखभाल की आवश्यकता पड़ती है।
- मजदूरों पर कम खर्च।
- कृषि कार्य को बांटा जाता है इसमें समय की पाबंदी नहीं होती।
- बाज़ार के भरमार की समस्या नहीं है? कृषक की आवश्यकता के अनुसार काटा जा सकता है।
- कीमत कृषक के अनुकूल होते हैं।
| - काफी देखभाल आवश्यक होती है।
- भारी मात्रा में मजदूरों की जरूरत।
- कम समय के फसल होने का कारण समय पर कृषि कार्य किए जाते हैं।
- बाजार की भरमार से बचने के लिए मार्केट समय आवश्यक है।
- दामों का घटना बढ़ना, जो किसान के हाथ में नहीं होता।
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क्यों जरूरी हैं सागवान की खेती।
- घर आफिस एवं शोरुम सहित कृषकों की जरूरत सागवान बन चुका हैं।
- सागवान की सर्वाधिक मांग का कारण हैं मजबूत लकड़ी एवं उच्च गुणवत्ता के कारण सालों साल चलने वाले फर्नीचर।
- सागवान की सालाना जरूरत 200 मिलियन घन फिट की है लेकिन इसका उत्पादन मात्र 25 मिलियन घन फिट हैं अर्थात 174 मिलियन घनफिट की और आवश्यकता है।
- एक बार के निवेश से सालों साल लाभ कमाने का जरिया।
आजकी कृषि
- स्वतंत्रता प्राप्ति के 74 वर्ष बाद आज भी कृषि ही भारतीय अर्थ व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है।
- बहुविधिक फसल |
- आधुनिक सिंचाई के साधन
- खेतों में मशीनीकरण
- तीव्रगति की कृषि
- साम्प्रदायिक फसल के स्थान पर आधुनिक फसल की पद्धति
- वन कृषि
वन आधारित कृषि
- सागवान
- चन्दन
- शीशम
- मोहगनी