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Teak (सागवान )

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कैसे करें सागवान की पूर्ति

  1. "सागवान का उत्पादन व्यापक और व्यवसायिक होना चाहिए।
  2. भारत सरकार भी सागवान को बढ़ावा देने की रणनीति बना रही है। पूरी जाँच पडताल के उपरांत ही किसानों तक सागवान के पौधे पहुँचते है।
  3. विभिन्न राज्यों से प्लस वृक्षों का चयन कर बीजका चुनाव किया जाता है। इसके बाद वैज्ञानिको की देखरेख में पौधा बड़ा होता हैं।
  4. माता रानी बायोटेक्नोलॉजी ने उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और बर्मा देश से बीजएकत्रित किये है।

सागवान ही क्यों?

  1. बार-बार के निवेश से मुक्त नुकसान की संभावना नगण्य बढ़ती मांग के कारण विपणन आसान।
  2. कीमतों में निरंतर वृद्धि।
  3. बिना टैक्स की आमदनी।
  4. श्रमिकों की बेहद कम जरूरत।
  5. प्रति एकड़ लगभग 59,99,000/- रुपयें की आमदनी

माता रानी बायोटेक्नोलॉजी के सागवान ग्राहकों के लिए आकर्षक प्रस्ताव

  1. सागवान के पौधों को आप के घर तक मुफ्त में पहुचाने की सुविधा ।
  2. इस विशेष प्रस्ताव द्वारा पौधे लगाने के 90 दिन के अन्दर मरे हुए पौधों को मुफ्त में दिये जाऐंगे।
  3. माता रानी बायोटेक्नोलॉजी के पौधे खरिदने वाले किसानों को प्रथम 2 वर्ष तक मुफ्त में आवष्यक तकनीकी सलाह अपने कृषी अधिकारियों के द्वारा दिये जाएंगे।
  4. यह सुनेहरा अवसर को ना खोइये सोचिए और तुरंत माता रानी बायोटेक्नोलॉजी के पौधे लगाये ।

विशेषताओं से परिपूर्ण हैं माता रानी बायोटेक्नोलॉजी सागवान

  1. "देश के विभिन्न भागों में उप तकनीक युक्त प्लांटो में उत्पादन।
  2. विभिन्न अवस्थाओं में पौधे की श्रेणीवार छटाई।
  3. पौधे की उत्तम बढ़वार, मध्यम बढ़वार, एवं निम्र बढवार वाले पौधो का पृथक्करण किया जाता है।
  4. बेहतर से बेहतर गुणवत्ता युक्त सागवान केवल माता रानी बायोटेक्नोलॉजी ही उपलब्ध करा रहा है।
  5. वृक्ष न केवल सीधा एवं जल्द बढ़ता है बल्कि ज्यादा एवं गुणवत्ता युक्त लकड़ी देता है।
  6. आधुनिक बागवानी के अनुकूल एवं ज्यादा दाम देने की क्षमता।
टीक उत्पादनसाधारण कृषि
  1. कम देखभाल की आवश्यकता पड़ती है।
  2. मजदूरों पर कम खर्च।
  3. कृषि कार्य को बांटा जाता है इसमें समय की पाबंदी नहीं होती।
  4. बाज़ार के भरमार की समस्या नहीं है? कृषक की आवश्यकता के अनुसार काटा जा सकता है।
  5. कीमत कृषक के अनुकूल होते हैं।
  1. काफी देखभाल आवश्यक होती है।
  2. भारी मात्रा में मजदूरों की जरूरत।
  3. कम समय के फसल होने का कारण समय पर कृषि कार्य किए जाते हैं।
  4. बाजार की भरमार से बचने के लिए मार्केट समय आवश्यक है।
  5. दामों का घटना बढ़ना, जो किसान के हाथ में नहीं होता।

क्यों जरूरी हैं सागवान की खेती।

  1. घर आफिस एवं शोरुम सहित कृषकों की जरूरत सागवान बन चुका हैं।
  2. सागवान की सर्वाधिक मांग का कारण हैं मजबूत लकड़ी एवं उच्च गुणवत्ता के कारण सालों साल चलने वाले फर्नीचर।
  3. सागवान की सालाना जरूरत 200 मिलियन घन फिट की है लेकिन इसका उत्पादन मात्र 25 मिलियन घन फिट हैं अर्थात 174 मिलियन घनफिट की और आवश्यकता है।
  4. एक बार के निवेश से सालों साल लाभ कमाने का जरिया।

आजकी कृषि

  1. स्वतंत्रता प्राप्ति के 74 वर्ष बाद आज भी कृषि ही भारतीय अर्थ व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है।
  2. बहुविधिक फसल |
  3. आधुनिक सिंचाई के साधन
  4. खेतों में मशीनीकरण
  5. तीव्रगति की कृषि
  6. साम्प्रदायिक फसल के स्थान पर आधुनिक फसल की पद्धति
  7. वन कृषि

वन आधारित कृषि

  1. सागवान
  2. चन्दन
  3. शीशम
  4. मोहगनी